आशीष

गुड़ मार्निंग,गुड़ इवनिंग,गुड़ बाय, बाय बाय,इसमें कुछ नहीं है।
आशीष एक शक्ति है।शीष नाम सिर,आ उपसर्ग है,उसका अर्थ होता है-स्मरण।
जिन्होंने अपनी आत्मा को समझ के पालन,पोषण किया है और आपको सदा सर्वदा उन्नति के पथ पर,उन्नत पद पर जाकर विभूषित हो,ऐसा जिन्होंने पालन पोषण किया,वे आपको आशीष देते है।
आधुनिक काल में,विद्या अध्ययन में,अभ्यास काल में,इस आशीष का कोई स्थान नहीं है।
आशीष को वहन करने के लिए,उसको रखने के लिए न्यूक्लियस के रूप में सशक्त होना चाहिए।
मनुष्य अपने आपको सदा दुर्बल पाता है,सदा अभाव ग्रस्त है।कि नहीं,कि नहीं,कि नहीं,ये चलता रहता है।
ये जो आशीष है बल है,बीच बीच में जो स्नायविक दौर्बल्य होता है,ये दूर हो जाते है।आशीष का दूसरा अर्थ है- शक्तिपात,आपका उत्साह बढ़े,जिससे आप अपना अध्ययन और अभ्यास करके उत्तीर्ण हो।माने परीक्षा है सब जगह,परीक्षा देने के लिए आये है,परीक्षा के बिना कुछ नहीं।

समझ में मेरी बात आई तो मेरी आशीष है-तुम्हें साहस प्राप्त हो,सूझबूझ मिले।लेकिन इस आशीष को रखना पड़ेगा तदानुसार आपको विद्या,अध्ययन और अभ्यास में परीक्षा देनी होगी,तब वो आशीष आपको-उच्चतम स्थान पर ले जाके पहुंचा देगी।

आज मेरी आशीष है-कि तुम्हारा जीवन सफल हो,चरित्र उज्ज्वल हो।आप संसार से उऋण हो,माता-पिता से भी उऋण हो,आप कर्तव्य पथ पर दृढ़ हो।आप सदाचारी हो,सच्चरित्र हो।सत्य में ही जीवन आपका रहे।

इसी तरह अध्ययन,अभ्यास किये तो कभी भी,परीक्षा में पास हो सकते है,चाहे कोई भी,कहीं से परीक्षा ले।
यहां प्रत्येक व्यक्ति,प्रत्येक समाज-अपने विचार में उन प्रश्नों का ही उत्तर देता है।इसके लिए,सदा उद्यत रहना चाहिए, कभी मुंह नहीं फेरना चाहिए।
विद्या और कला से निपुण होना है।ये जितने लोग,आपके आस पास है-ये सब सहायक है,संरक्षक है,परीक्षक भी है।
अगर गुण की ओर जाएंगे तो हम स्वयं सदगुणी होंगे-ये सिद्धान्त है।हमको गुणज्ञ होना है,ये जो शक्ति है,गुण-ये साधारण बात नहीं है।ये जो शक्ति है,उसको सत कहा।
इन्सा पल-पल,प्रत्येक सांस पर इम्तिहान में लगा है।प्रश्न को तो साल्व करना ही होगा,अगर बराबर साल्व होगा,तो अवश्य उत्तीर्ण होंगे।
।।श्री गुरुजी।।

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