एकत्व

भक्त भक्ति भगवंत गुरु चतुर नाम बपु एक। इनके पद बंदन किए नासहिं बिघ्न अनेक॥

भगवान् श्री राम हनुमान जी से पूछते है-हे हनुमान ,मुझमे और तुझमे क्याअंतर है?

हनुमान जी कहते है -प्रभु लौकिक दृष्टी से आप स्वामी मै सेवक, आप भगवान मै भक्त हूँ ! और तात्विक दृष्टी से जो आप है वही मै हूँ !

भगवन श्री कृष्ण ,अर्जुन से कहते है- अर्जुन मेरे व तेरे में कोई अंतर नही है, अंतर इनता है कि मै जानता हूँ , तू नही जानता ,तुझे इस ज्ञान का रहस्य विज्ञान सहित कहूँगा जिसे जानने के बाद तुझमे व मुझमे ज्ञान -सामर्थ में कोई अंतर -भेद नही रह जाएगा !

सर्वं खल्विदं ब्रह्मम्”=सर्वत्र-सभी ब्रह्म ही है”-समग्र सृष्टि, समस्त जड़ चेतन,दृष्ट अदृश्य जगत ब्रह्म है !
सोहं *=वही मैं हूँ।
तत्त्वमसि=तुम भी वही हो,
अर्थात – वही आप हैं ,वही वे हैं, वही हम सभी हैं।

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