विष्णु ,

ईश्वर जो सर्वत्र ,कण- कण ,घट -घट में विश्व के अणु रेणु में व्याप्त है इसलिए विष्णु भी कहते है , जो सबसे निकट हमारे भीतर शक्ति रूप में वही [अंतरात्मा ]ही है ,जिसकी चेतना से हम चैतन्य -समर्थ -संचालित -सुंदर -सुगन्धित है ! जिसे ईश्वर ,भगवान ,वाहेगुरु ,अलाल्ह ,गॉड आदि-आदि विभिन्न नामो से पुकारते है ! रूप- नाम भिन्न है पर सब साकार रूप [सचराचर ] मे वो एक ही निराकार है ,वो ज्योतिस्वरूप है ! कहा गया है- आत्मा स्वयं ज्योतिर्भवती ! अलाल्ह नूर है ! GOD IS LIGHT !
ध्यान के अभ्यास से इसे जानना है .यही मानव जन्म का मूल उद्देश्य है ,धर्म अर्थात कर्तव्य है-इसके बाद कुछ भी जानना शेष नही रह जाता व कुछ भी अप्राप्त नही होता

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