
सब कुछ वही है
—-इस भूमि को स्पर्श करके पाताल से आकाश तक दिव्य लोक पर्यन्त एक ही पुरुष (ईश्वर) है।वही ब्रम्ह है,कुंडीलिनी है,सब कुछ है-वही जानने योग्य है।
—-केवल हमें सही पद्धति मालूम होना चाहिए ,जानने पर प्राप्त होने पर जो हमारी दुर्गति है,दूर होकर वो सुगति हो जायेगी।आपको जो चाहेंगे मिलेगा,जो सोचेंगे वो होगा।लोगों का भी कल्पना होगा।आप मंगलमूर्ति होंगे,मंगल कहते है-कल्पतरु को।कल्पतरु के नीचे जाओ,तो जो कहेंगे,सोचेंगे झट परिणाम उसका आ जाता है।ये है सत्य।कल मिलेगा,परसो मिलेगा,ऐसा नहीं-वो क्रिया का फल तत्काल पीछे पीछे है।
—-आपमें ही है वो,वो शक्ति है,महाशक्ति है-उसे विकसित करना होगा।आप स्वयं अधिकारी है अपने आप के लिए।ये जो अग्नि प्रसुप्त है,उसे जलाना है,इसको पाना है।सतगुरु सत्पुरुष के आदेशानुसार,सानिध्य में अभ्यास करें।अपने आप को जानने की जो पद्धति है,वही भक्ति है।अंदर बाहर ऊपर नीचे दाहिने बांये आगे पीछे वही है,लेकिन दिखता नहीं है।हां सतगुरु के बताए उपाय से आप चाहें तो प्राप्त हो जायेगा।
।।श्रीगुरुजी।।