सर्वशक्तिमान
जब आत्मा सर्वज्ञ है सर्वत्र है सर्वशक्तिमान है तो फिर चिंता क्या है?चिंता किस बात की?मनुष्य एक ब्रम्हांड है उसमें आत्मा और बुद्धि का संयोग है।प्रकृति विराट रूप है ईश्वर का।ईश्वर दुनियाँ में नाना नहीं है वह एक ही है।दिव्य शक्ति सबमें ओत प्रोत है,वह आपमें ही है।अपने आपको पढ़िये आप कहाँ चूके है कहाँ …