ब्रम्हचर्य

हमारे में जो है विद्यमान,जिसके निकलने पर ये शरीर को जला दिया जाता है,वो क्या है?वो आप है,हम देह नहीं आत्मा है।सत माने एनर्जी,सत माने कॉस्मिक एनर्जी,सत माने डिवाइन एनर्जी।सत माने जिसकी ये सत्ता है।सत माने आत्मा।इसी सत्ता से सारी दुनिया खड़ी हुई है और साइंटिस्ट भी सब,उसी ओर जा रहे है।वो सत है। —-जीवात्मा …

डेस्टिनी

—-बाहर के आकर्षण से ही सब कृतियाँ होती रहती है,अंतिम स्वास पर्यन्त कोई भी उसका भरोसा नहीं करता कि वो कब बदल जाएगा।शरीर के नौ द्वारों से हम बाहर के संस्कार लेते है और उस ओर खिंचते चले जाते है। मनुष्य के मूल संस्कार इतने जबरे है कि वो जानता है कि ये अच्छा नहीं,फिर …

Trishul

Tri means three and Shool means a thorn. Trishul is the weapon of Shiva Ji. There are three hindrances, the thorns in our lives. We have conceived these triplets as the inevitable parts of our lives. Attachment, greed, jealousy, etc are included in this classification. These are the thorns, which we acquire from the world …

विश्वास

वेदांत में भी घुसने पर भी साधुओं के वर्ग है।तीन केंद्र तक तो मायावी केंद्र है, भू, भुर्व, स्वः ये तीनों माया है।ये रावण, कुंभकरण,कंस आदि ये यही तक रहें। उसके बाद फिर वो अवधूत होता है जैसे दत्तात्रेय आदि।उसके बाद वो ऊपर चले जाये तो क्या कहते है, उसको,फिर संत होते है।तरण तारण मृत्यु …