मृत्यु- नए कपड़े धारण करने का अंतराल
हमारे लिए जन्म उत्सव है ,तो मृत्यु महोत्सव (मुक्ति) — —-हमारे दर्शन में मृत्यु शरीर की होती है, ना कि हमारी ।शरीर वस्त्र है , जिस प्रकार पुराने वस्त्र को त्याग कर हम नये वस्त्र धारण करते हैं ,उसी प्रकार जीव शरीर को त्याग कर पुनः अपनी प्रकृति(सत रज तम) अनुसार नए शरीर को प्राप्त …