God
श्री गुरुजी वासुदेव रामेश्वर जी तिवारी
श्री गुरुजी वासुदेव रामेश्वर जी तिवारी
श्री गुरुजी वासुदेव रामेश्वर जी तिवारी
सर्वधर्माम परित्यज्य मामेकम शरणम ब्रज ! ब्रज मायने आवो नहीं जावो होता है ! धर्म मायने धारणा ,अर्थात सभी प्रकार के धारणा को त्याग के मुझ मायने आत्मा [अंतर-आत्मा ]अर्थात अपने शरण में जावो ,आत्मा ही सदगुरु है जो हमारे भीतर शक्ति रूप में विराजमान है, वो सर्वत्र कण-कण में है, व सबसे निकट हमारे …
सर्वधर्माम परित्यज्य मामेकम शरणम ब्रज ! ब्रज मायने आवो नहीं जावो होता है ! धर्म मायने धारणा ,अर्थात सभी प्रकार के धारणा को त्याग के मुझ मायने आत्मा [अंतर-आत्मा ]अर्थात अपने शरण में जावो ,आत्मा ही सदगुरु है जो हमारे भीतर शक्ति रूप में विराजमान है, वो सर्वत्र कण-कण में है, व सबसे निकट हमारे …
सहजावस्था जो समस्त जगत को ब्रह्म-मय देखता है, उसके लिए ध्यान करने न करने, बोलने न बोलने अथवा करने न करने को क्या शेष रह जाता है !।।आदि शंकराचार्य।। [यही सहजावस्था है ]सहज -सहज सब कोई कहे, सहज न चिन्हे कोय आठो प्रहर भीनी रहे सहज कहावय सोय उत्तमा सहजावस्था, मध्यमा ध्यान -धारणा, मंत्रजपस्यात अधमा, …
आत्म-साक्षात्कार आत्म-साक्षात्कार के बाद मैदान में उतारो, कोई हाथ नहीं पकड़ता ! कुलं पवित्रं जननी कृतार्था, वसुन्धरा पुण्यवती च तेन ।अपारसंवित्सुखसागरेऽस्मिन् , लीनं परे ब्रह्मणि यस्य चेत: ॥ इसके बाद मनुष्य, पूर्णत: निर्विकार, ज्ञान और सामर्थ् में पूर्ण होता है, वो होनी को अनहोनी और अनहोनी को होनी करने में समर्थ होता है, अष्ट सिद्धि, …