Aatma
आत्मा निरपेक्ष भाव से कर्तव्य करिये, जगत में रहना है, नही रहकर भी रहना है, न कोई स्त्री है, न पुरुष है, न बेटा है न बेटी है, सब आत्मायें है।ऐसी धारणा ही समत्व योग कहलाती है। शरीर का परिवर्तन है, आत्मा तो सर्वव्यापक है, तो आना जाना कहाँ है?एनर्जी स्थायी नहीं है, अस्थायी है …
