Atma Sakshatkar
आत्म-साक्षात्कार आत्म-साक्षात्कार के बाद मैदान में उतारो, कोई हाथ नहीं पकड़ता ! कुलं पवित्रं जननी कृतार्था, वसुन्धरा पुण्यवती च तेन ।अपारसंवित्सुखसागरेऽस्मिन् , लीनं परे ब्रह्मणि यस्य चेत: ॥ इसके बाद मनुष्य, पूर्णत: निर्विकार, ज्ञान और सामर्थ् में पूर्ण होता है, वो होनी को अनहोनी और अनहोनी को होनी करने में समर्थ होता है, अष्ट सिद्धि, …