संस्कृति
आज हमारी हालत ये है,अब हम अपने भी नहीं रह गये, अपने तक तो ठीक है,अब हम अपने भी नहीं रह गये,अब हम कहीं के नहीं रह गये।अनेक दुर्देव,दुर्गति,अनेक ग्रास जो फैले हुए है,और हम चले जा रहे है।उठो जागो।और श्रेष्ठ व्यक्ति को प्राप्त करके,आप जब तक उनकी तरह नहीं हो जाते,महाशक्ति को प्राप्त नहीं …