सत्य

प्रत्येक व्यक्ति चाहे किसी आश्रम में हो,चाहे किसी भी वर्ग या वर्ण का हो-जन्मतः सब शुद्र है।जनेऊँ संस्कार/उपनयन संस्कार जब कर दिया जाता है-द्विज/दूसरा जन्म, होता है।वेदों के अध्ययन के पश्चात अभ्यास जो जाता है,तब वो-विप्र होता है।ब्रम्ह,जो परम आत्मा हो जाता है,तब उसको -ब्राम्हण कहा गया है।वो चाहे कोई भी हो।अभ्यास,अध्ययन के बाद उस …

सत्य

प्रत्येक व्यक्ति चाहे किसी आश्रम में हो,चाहे किसी भी वर्ग या वर्ण का हो-जन्मतः सब शुद्र है।जनेऊँ संस्कार/उपनयन संस्कार जब कर दिया जाता है-द्विज/दूसरा जन्म, होता है।वेदों के अध्ययन के पश्चात अभ्यास जो जाता है,तब वो-विप्र होता है।ब्रम्ह,जो परम आत्मा हो जाता है,तब उसको -ब्राम्हण कहा गया है।वो चाहे कोई भी हो।अभ्यास,अध्ययन के बाद उस …

आशीष

गुड़ मार्निंग,गुड़ इवनिंग,गुड़ बाय, बाय बाय,इसमें कुछ नहीं है।आशीष एक शक्ति है।शीष नाम सिर,आ उपसर्ग है,उसका अर्थ होता है-स्मरण।जिन्होंने अपनी आत्मा को समझ के पालन,पोषण किया है और आपको सदा सर्वदा उन्नति के पथ पर,उन्नत पद पर जाकर विभूषित हो,ऐसा जिन्होंने पालन पोषण किया,वे आपको आशीष देते है।आधुनिक काल में,विद्या अध्ययन में,अभ्यास काल में,इस आशीष …

आशीष

गुड़ मार्निंग,गुड़ इवनिंग,गुड़ बाय, बाय बाय,इसमें कुछ नहीं है।आशीष एक शक्ति है।शीष नाम सिर,आ उपसर्ग है,उसका अर्थ होता है-स्मरण।जिन्होंने अपनी आत्मा को समझ के पालन,पोषण किया है और आपको सदा सर्वदा उन्नति के पथ पर,उन्नत पद पर जाकर विभूषित हो,ऐसा जिन्होंने पालन पोषण किया,वे आपको आशीष देते है।आधुनिक काल में,विद्या अध्ययन में,अभ्यास काल में,इस आशीष …

मनोरोग

[श्रीकृष्ण[श्रीमद्भागवत गीता ] व श्री सद्गुरुजी के प्रवचन पर आधारित ]—— ———-मन का बाहर किसी [ व्यक्ति या पदार्थ ] में लिप्तता या लगाव , किसी प्रकार का भी आदत जिसके न मिलने पर मन अशांत,बेचैन होता हो ,यही मन का विकार ग्रस्त [बीमार ]होना है ! अर्थात मनोरोग है !———-स्वस्थ वही है जो आत्मस्थ …

तेरा मैं

साधु लोग साधना करते है सारा शरीर मग्न हो जाता है माने सारा शरीर बधिर हो जाता है,सारा शरीर बधिर हो जाता है जब बधिर हो जाता है तो बाहर का कुछ भी ज्ञान नहीं रहता,सम्बंध नहीं रहता,विषयों का सम्बंध टूट जाता है।उतने देर तक जब तक बधिरता है लेकिन बाहर का सम्बंध टूटता है,भीतर …