अपौरुषेय वेद- साधना के ग्रन्थ
अपौरुषेय वेद- साधना के ग्रन्थ
आत्मबल
—-अपने स्वरूप को भूल जाने के कारण हम निर्बल हो गए है,अपने आपको पहचानकर अपनी आत्मशक्ति को विकसित कर हम पुनः समर्थ हो सकते है।इच्छा कम करो काम क्रोध लोभ सब भाग जायेंगे।संसार में रहने और संसार के कार्य करने में कोई दोष नही,केवल दासी के समान मन भाव रहना चाहिए, सब कार्य करती है …
आत्मानुभूति
आत्मानुभूति
मृत्यु- नए कपड़े धारण करने का अंतराल
हमारे लिए जन्म उत्सव है ,तो मृत्यु महोत्सव (मुक्ति) — —-हमारे दर्शन में मृत्यु शरीर की होती है, ना कि हमारी ।शरीर वस्त्र है , जिस प्रकार पुराने वस्त्र को त्याग कर हम नये वस्त्र धारण करते हैं ,उसी प्रकार जीव शरीर को त्याग कर पुनः अपनी प्रकृति(सत रज तम) अनुसार नए शरीर को प्राप्त …
मृत्यु- नए कपड़े धारण करने का अंतराल
हमारे लिए जन्म उत्सव है ,तो मृत्यु महोत्सव (मुक्ति) — —-हमारे दर्शन में मृत्यु शरीर की होती है, ना कि हमारी ।शरीर वस्त्र है , जिस प्रकार पुराने वस्त्र को त्याग कर हम नये वस्त्र धारण करते हैं ,उसी प्रकार जीव शरीर को त्याग कर पुनः अपनी प्रकृति(सत रज तम) अनुसार नए शरीर को प्राप्त …