ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय ॥
हम प्रत्येक दिन को नव वर्ष-नव जन्म व
रात्रि निद्रा को मृत्यु माने l
एक-एक दिन-क्षण का पूर्ण सदुपयोग करें–
—विचार करके देखे तो अधिकतर मनुष्य एक दिन ,एक क्षण नहीं जीता ! या तो भूत में घटित घटनाओ में या भविष्य के कल्पनाओ में या औरो [ अन्य पदार्थ या व्यक्ति ] में खोया रहता है ! वर्तमान में , अपने में आनन्दित नहीं रहता ,वर्तमान में नही जीता ,वर्तमान खो [ बीत ]जाता है !वर्तमान से ही भूत और भविष्य बनता है !
—बड़े कहते है कि हम ऐसे थे, वैसे थे ,व बच्चे हम होंगे- होंगे कहते है ! इसी भूत की स्मृति व भविष्य की कल्पनाओ या अन्य की स्मृतियों में वर्तमान चला जाता है ! विचार करके देखे तो वर्तमान से ही भूत व भविष्य [ थे व होंगे ] बनता है
—वर्तमान में , अपने में रहना [अपने भीतर विराजमान ब्रह्म में रमना ] यही —-सहजावस्था है !–
-सहज सहज सब कोई कहे सहज न चिन्हे कोय , आठो प्रहर भीनी रहे सहज कहावय सोया !
Fully agree, as someone said if you live in past you will always be depressed and if you live in future you will always be anxious so live in present but for that we have to train our minds to live in present.